राष्ट्रीय खेल दिवस

राष्ट्रीय खेल दिवस (29 अगस्त )



आज हमारे देश का राष्ट्रीय खेल दिवस है। हॉकी के जादूगर मानें जाने वाले महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह हैं। जिनका जन्म 29 अगस्त 1905 में हुआ। उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रुप में मनाया जाता है। वर्ष 2012 में सरकार द्वारा इसका गठन किया गया था।


प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में 29 अगस्त को महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह को सम्मानित करने के लिए 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नई दिल्ली में ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम जो ध्यानचंद के सम्मान में बनाया गया था।वहीं विभिन्न भारतीय हॉकी टीमों के बीच दोस्ताना मैच का आयोजन किया जाता है।

इलाहाबाद में जन्में थे महान खिलाड़ी


इसी दिन भारत के राष्ट्रपति विभिन्न खेल क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने खिलाडियों और कोचों को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। 29 अगस्त 1905 का दिन था जब भारत के सबसे सफल हॉकी खिलाड़ी का जन्म इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ।

16 साल की उम्र में ही सेना में हुए भर्ती ध्यानचंद को आधिकारिक तौर पर ' मेजर ध्यानचंद ' के नाम से जाना जाता है; वह 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे | सेना में भर्ती होने के बाद सूबेदार मेजर भोले तिवारी उनके मेंटर बने और उन्हें खेल का बेसिक ज्ञान दिया पर पंकज गुप्ता को ही ध्यानचंद का पहला कोच माना जाता है जिनसे उन्होंने हॉकी का खेल सीखा और जल्द ही गेंद ड्रिब्लिंग और लक्ष्य स्कोरिंग में एक विशेषज्ञ बन गए। वह जल्द ही अपने उत्कृष्ट खेल तकनीक के कारण भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बन गए। टूटी हॉकी से शुरू किया सफर और बन गए बेस्ट सेन्टर फॉरवर्ड खिलाड़ी पूरी रात करते थे ध्यान चंद का मूल नाम ध्यान सिंह था उपनाम ' चंद ' उन्हें उनके सहयोगियों से प्राप्त हुआ था क्योंकि वे रात्रि में चंद्रमा की प्रतीक्षा किया करते थे और फिर चंद्रमा की चांदनी में सारी रात अभ्यास किया करते थे। अपने खेल कैरियर के दौरान बतौर कप्तान ध्यानचंद ने हॉकी में भारत को 3 ओलंपिक पदक वर्ष 1928, 1932, 1936 में दिलाये और अब तक एक मात्र हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्हें पद्म भूषण पुरस्कार प्राप्त हुआ है। जो देश का तीसरा सबसे बड़ा सिविलियन पुरस्कार है। उन्होंने अपने 22 साल के कैरियर में 400 से अधिक गोल किए। इस तरह अपने सफर से चंद ने भारतीय टीम को एक नए शिखर तक पहुंचाया।



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